जन्मों के नाते हैं
जब तुमको देखूँ
नैना सुख पाते हैं
-सुरंगमा यादव
जब सूरज ढल जाए
साँझ अटारी पे
चंदा मिलने आए
-विद्या चौहान
ज़ख्मी उसकी छाती
बाँसुरिया फिर भी
क्यों गान मधुर गाती
-सुधा राठौर
जल भर-भर के लाते
उमड़ घुमड़ बदरा
सबके मन हर जाते
-चन्द्रभान मैनवाल
जब-जब पानी बरसा
रात अकेले में
तब-तब मन ये तरसा
-अविनाश बागड़े
जीवन की ये गाड़ी
सुख-दुख हैं डिब्बे
चलती सीधी-आड़ी
-पूनम मिश्रा 'पूर्णिमा'
जग दो दिन का मेला
साँस चले जब तक
सुख-दुःख का है खेला
-आभा खरे
जीना क्या घुट-घुट कर
हँसते ही रहना
इस दुनिया में अक्सर
-डॉ. नितीन उपाध्ये
जीना मुश्किल तुम बिन
आ भी जाओ ना
अब बीते दिन गिन-गिन
-तूलिका सेठ
जुगनू फिर चमके हैं
साँझ सुरमई के
कोने लो महके हैं
-अविनाश बागड़े
जिस दिल में न हों राधा
साँसें तो पूरीं
लेकिन जीवन आधा
-आनन्द पाठक
जंगल धूँ-धूँ जलता
छूटा घर अपना
कोई वश ना चलता
-आभा खरे
जी भर के जिया तुमको
कोई शिकवा नहीं
अब विदा किया तुमको
-डा० कमला सिंह
जब हम मुस्काते हैं
हमसे हैं मौसम
हम बादल लाते हैं
-सोनम यादव
जंगल घबराए हैं
दूर हुए हमसे
इंसाँ बौराए हैं
-सोनम यादव
जादू कैसा डाला
मादक नयन लगें
जैसे हों मधुशाला
-सुरंगमा यादव
जो वज़न बढ़ा आये
थोड़ा सबर करो
शायद अब घट जाए
-डॉ. रेशमा हिंगोरानी
जंगल है इक प्यारा
अनगिन पेड़ यहाँ
चिड़ियों का अँगनारा
-मधु गोयल
जल्दी घर को जाऊँ
भूखे हैं बच्चे
पंखों में गति लाऊँ
-आभा खरे
जाओ दाना चुगने
फ़िक्र करो ना माँ
देंगे ना घर घुसने
-मधु गोयल