पहने बूँदें-पायल
छम-छम नाच रहीं
मन विरहन का घायल !
-त्रिलोचना कौर
सावन घर आया हैं
थैंला बूँदों का
काँधे रख लाया हैं !
-त्रिलोचना कौर
घर रौनक छाई हैं
बचपन की गुड़िया
माँ के घर आई हैं !!
-त्रिलोचना कौर
ऋतु सोहर गाती हैं
चिड़िया बच्चों को
जीना सिखलाती हैं !
-त्रिलोचना कौर
अब देंगे छोड़ नशा
बिटिया की खातिर
घर आँगन आज हँसा
-त्रिलोचना कौर
आये तेरे द्वारे
रब के जैसा तू
हम जीवन से हारे
-त्रिलोचना कौर