अनगढ़ अनजानी है
राहें जीवन की
अपनी बेगानी है
-मीनाक्षी कुमावत 'मीरा'
मन याद सदा रखना
जो भी बाँटा है
इक दिन वो ही मिलना
-मीनाक्षी कुमावत 'मीरा'
जो लोग चले जाते
इस दुनिया से जब
वो लौट के कब आते
-मीनाक्षी कुमावत 'मीरा'
पनघट पर छूट गया
दिल चुपके कोई
हँस करके लूट गया
-मीनाक्षी कुमावत 'मीरा'
बासंती रुत आई
देख रही बगिया
कलियों की अँगड़ाई
-मीनाक्षी कुमावत मीरा
बरगद की छाँव बड़ी
छतरी बन करके
आँगन में तान खड़ी
-मीनाक्षी कुमावत 'मीरा'
जीवन इक मेला है
जान सका वो ही
जिसने यह खेला है
-मीनाक्षी कुमावत 'मीरा'
बिरहन दियरा बारे
ज्योति जगे मन में
मिट जाएँ अँधियारे
-मीनाक्षी कुमावत 'मीरा'
बचपन का सपना है
आओगे इक दिन
दिल कहता अपना है
-मीनाक्षी कुमावत 'मीरा'
पीपल की छाया-सी
माँ की ममता है
दुख-सुख में साया-सी
-मीनाक्षी कुमावत मीरा
अनुराग बहुत गहरा
डूब गये कितने
फिर कौन यहाँ उबरा
-मीनाक्षी कुमावत मीरा
कहना सच के दम पर
मानो ना मानो
रखना नेकी ऊपर
-मीनाक्षी कुमावत मीरा
हर मोड़ पे मिल जाते
रोज नये साथी
कितने हैं निभा पाते
-मीनाक्षी कुमावत मीरा