मौसम आते जाते
चलते जीवन में
यादों को सहलाते
-विद्या चौहान
वो चाँद शरद चहका
जादू क्या रुत में
रहता बहका बहका
-विद्या चौहान
होगी अब कुड़माई
सोच रही सरसों
मन ही मन शरमाई
-विद्या चौहान
पाखी चुगती दाना
छोड़ हृदय अँगना
इक दिन है उड़ जाना
-विद्या चौहान
रिमझिम सावन बरसे
राह तकूँ सजना
मिलने को मन तरसे
-विद्या चौहान
जब सूरज ढल जाए
साँझ अटारी पे
चंदा मिलने आए
-विद्या चौहान
दिन कैसा ये आया
साथ नहीं कोई
केवल अपना साया
-विद्या चौहान
कुछ देर अँधेरा है
धीर न खोना मन
उस पार सवेरा है
-विद्या चौहान
हाथों की लकीरों से
कह दो लिख देंगीं
किस्मत तदबीरों से
-विद्या चौहान
फूलों की बस्ती में
भँवरा घूम रहा
अपनी ही मस्ती में
-विद्या चौहान
जो जल न बचाएँगे
अपनी संतति को
कल क्या दे पायेंगे
-विद्या चौहान