भँवरों की गुन-गुन से
कलियाँ बहकी हैं
यौवन की धुन सुनके
-ममता मिश्रा
भौंरे मन के काले
चूमें कली-कली
पीते मय के प्याले
-डॉ. अनिल सक्सेना
भक्ती के उजियारे
दहन होलिका में
पाखंड-कपट हारे
-सोनम यादव
भय की है बात नहीं
जब दीपक जलता
मिट जाता तमस वहीं
-प्रतिमा प्रधान
भँवरा तो भँवरा है
एक कली पर ही
रहता कब ठहरा है
-आनन्द पाठक
भँवरा तो आता है
गुमसुम कलियों का
घूँघट खुलवाता है
-डॅा. जगदीश व्योम
भोली सूरत वाले
होते हैं अक़्सर
वो अंतस के काले
-सुधा राठौर
भोग्या न समझ माही
लक्ष्मी हूँ घर की
मैं तेरी हमराही
-निवेदिताश्री
भारत में अभिनंदन
वीर सपूतों का
अब देश करे वंदन
-तूलिका सेठ
भर-भर आँखें कहतीं
पास नहीं सजना
हर दम बातें करतीं
-डॉ. संजय सराठे
भूखा ही यह जाने
रोटी की खुशबू
लगती है बहकाने
-मीतू कानोडिया
भर-भर आती आँखें
उड़ना ही होगा
छूटेंगी ये शाखें
-आशा पांडेय
भँवरा जब आता है
गुमसुम कलियों का
घूँघट खुलवाता है
-डा. जगदीश व्योम
भूखा बस यह जाने
रोटी की खुशबू
लगती है बहकाने
-मीतू कानोडिया
भारत के सेनानी
शौर्य देख इनका
दुश्मन माँगे पानी
-मीतू कानोडिया