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2023-08-01

माहिया

                             माहिया

माहिया पंजाबी का लोक-प्रचलित शृंगार तथा करुण रस से ओतप्रोत लोकगीत है. शृंगार के विरह-पक्ष की इसमें मार्मिक अनुभूति मिलती है. पंजाबी शिष्ट साहित्य के ऊपर भी इस लोक-परम्परा की रचना का यत्र-तत्र प्रभाव दिखाई देता है.

–माहिया में हाइकु कविता की तरह ही तीन पंक्तियाँ होती हैं.
 पहली पंक्ति में 12 मात्राएँ दूसरी पंक्ति में 10 मात्राएँ और तीसरी पंक्ति में 12 मात्राएँ रहती हैं.

– हाइकु में वर्ण या अक्षर गिने जाते हैं लेकिन माहिया में मात्राएँ गिनी जाती हैं.

– माहिया पंजाबी लोक जीवन का बहुत प्रसिद्ध और लोकप्रिय गीत है, माहिया सम्पूर्ण कविता है.

पंजाबी से जब माहिया अपनी लोकप्रियता के कारण बाहर निकल कर दूसरे प्रदेशों में पहुँचा तो उसके कथ्य में भी विस्तार हुआ जो स्वाभाविक ही है, अर्थात माहिया में अब शृंगार और करुणा के साथ साथ कविता के वे अन्य कथ्य भी समाहित हो गये हैं जो अन्य विधा की कविताओं में उपस्थित रहते हैं.

माहिया लोकगीत है, लोक से जुड़ा हुआ है इसलिए इसे लिखना भी सहज है, जो लोक से जुड़ा है, लोक का आदर करता है, लोक को समझता है.. … जिसके पास सहज भाषा है उसके लिए माहिया लिखना बातचीत करने जैसा है. जब हम बातचीत करते हैं तो भाषा सहज होती है, किसी तरह की कोई बनावट के लिए वहाँ स्थान नहीं होता है.

माहिया प्रियजन से बातचीत करने की बहुत प्यारी काव्य विधा है जिसे लोक-समाज ने सैकड़ों वर्ष में तराशा है, इसमें भाषा बोलचाल की ही रहे तभी माहिया का वास्तविक आनन्द है| 
नारी को समाज ने बोलने का अवसर दिया ही कहाँ…. वह तो थोड़ा बहुत जब कभी बोल सकी है तो केवल लोकगीतों में ही बोली है, माहिया भी उसी पीड़ा की कसक से उपजा लोकगीत है.

कोशिश करें कि सहज भाषा में बतियाते हुए माहिया लिखने की कोशिश करें… उस भाषा में, जिसमें हम बात करते हैं, जैसे हम बात करते हैं… उसी तरह से लिखें.

-डाॅ० जगदीश व्योम