बरसाने की ग्वालिन
कान्हा चकराए
बनकर आयी मालिन
-सुधा राठौर
होता है मौन मुखर
शब्दों से ज्यादा
रखता पुरजोर असर
-सुधा राठौर
सुख-दुख से नाता है
आँसू का बहना
सबकुछ कह जाता है
-सुधा राठौर
गाँठों का खुल जाना
मन पर बोझ लिये
मुश्किल था जी पाना
-सुधा राठौर
शब्दों को चुन लाता
मेरा मन पाखी
रचना बुनता जाता
-सुधा राठौर
मन की गति न्यारी है
पकड़ नहीं आए
कैसी लाचारी है
-सुधा राठौर
ये मन क्यों बौराया
चाहत अनजानी
फिरता है पगलाया
-सुधा राठौर
साँवरिया का आना
आहट होते ही
धड़कन का बढ़ जाना
-सुधा राठौर
सूखे गुल से महकी
साजन की पाती
जब आखर में बहकी
-सुधा राठौर
बाबुल की गौरैया
चहके जब बेटी
बलिहारी हो मैया
-सुधा राठौर
बेटी करती वादा
खूब निभाऊँगी
दो कुल की मर्यादा
-सुधा राठौर
बस ध्यान रहे इसका
बेटी को ब्याहो
मत दान करो उसका
-सुधा राठौर
अति दूर किनारा है
जीवन नैया का
तू खेवनहारा है
-सुधा राठौर
मुँह ढँककर सोया है
सूरज बेचारा
बादल में खोया है
-सुधा राठौर
हो लगन अगर सच्ची
कुंदन-सी निखरे
हर एक विधा कच्ची
-सुधा राठौर
छत पर तेरा आना
नींद उड़ा जाए
पायल का खनकाना
-सुधा राठौर
बूढ़ी काया रोये
छोड़ गए बच्चे
जर्जर तन दुख ढोये
-सुधा राठौर
गुरु-ज्ञान ख़ज़ाना है
जिसने भी पाया
जीवन को जाना है
-सुधा राठौर
भोली सूरत वाले
होते हैं अक़्सर
वो अंतस के काले
-सुधा राठौर
वो बेरी की झाड़ी
जोरा जोरी में
सखि उलझ गई साड़ी
-सुधा राठौर