Showing posts with label *नितीन उपाध्ये. Show all posts
Showing posts with label *नितीन उपाध्ये. Show all posts

2024-04-08

जब हिल-मिल जातीं हैं

जब हिल-मिल जातीं हैं 
सास-बहू मिलकर 
घर स्वर्ग बनातीं हैं 

        -डॉ. नितीन उपाध्ये

मानी रूठी सजनी

मानी रूठी सजनी 
साजन ने ला दी 
जब मोती की नथनी

    -डॉ. नितीन उपाध्ये 

चूड़ी कंगन बाली

चूड़ी कंगन बाली 
लाई गोरी के 
इन गालों पर लाली

        -डॉ. नितीन उपाध्ये 

सूरज तो जाएगा

सूरज तो जाएगा 
ऊर्जा भर मन में 
कल वापस आएगा

        -डॉ. नितीन उपाध्ये 

2024-03-31

पर्वत-घाटी छोड़े

पर्वत-घाटी छोड़े 
सागर से मिलने 
नदिया भागे-दौड़े 

        -डॉ. नितीन उपाध्ये

2024-03-28

चिड़ियाँ दाना चुगतीं

चिड़ियाँ दाना चुगतीं 
पेट भरे जितना
ना संचय कर रखतीं 
 
        -डॉ. नितीन उपाध्ये

इस दुनिया की माया

इस दुनिया की माया 
क्षण भर की मितरा  
ज्यों बादल की छाया 

        -डॉ. नितीन उपाध्ये

2024-03-21

हम भारत के वासी

हम भारत के वासी
मन में रहती है 
गंगा, मथुरा, काशी
  
  -डॉ. नितीन उपाध्ये

2024-03-10

काग़ज की नावों में

काग़ज की नावों में 
बह के जाता है 
मन मेरा गाँवों में 

    -डॉ. नितीन उपाध्ये

बादल तो बरस गए

बादल तो बरस गए
साजन सजनी से 
मिलने को तरस गए

        -डॉ. नितीन उपाध्ये

वो दौलत वाले हैं

वो दौलत वाले हैं 
हमको क्या करना 
हम तो दिल वाले हैं

        -डॉ. नितीन उपाध्ये 

सच्चाई के आगे

सच्चाई के आगे 
केवल झूठ नहीं 
हर पाप यहाँ भागे

        -डॉ. नितीन उपाध्ये

2024-03-06

होगा जो होना है

होगा जो होना है 
सोचे जो कल का 
तो ये पल खोना है

    -डॉ. नितीन उपाध्ये 

छोड़ो दुनियादारी

छोड़ो दुनियादारी 
प्यारी है हमको 
बस यारों की यारी 

    -डॉ. नितीन उपाध्ये 

जन्नत जो हो पाना

जन्नत जो हो पाना 
माँ के क़दमों में 
सर रख कर सो जाना

        -डॉ. नितीन उपाध्ये 

फूलों के खिलने के

फूलों के खिलने के 
आये है मौसम 
बागों में मिलने के

        -डॉ. नितीन उपाध्ये

बचपन के वो झगड़े

बचपन के वो झगड़े 
यारों के मुक्के 
जब पड़ते थे तगड़े

        -डॉ. नितीन उपाध्ये

जब आधी अठन्नी में

जब आधी अठन्नी में 
बर्फी मिलती थी 
चाँदी की पन्नी में 

        -डॉ. नितीन उपाध्ये

चिड़िया उड़ जायेगी

चिड़िया उड़ जायेगी 
दाना-दुनका दो 
तब वापस आएगी 

        -डॉ. नितीन उपाध्ये

2024-03-04

बेटी की है डोली

बेटी की है डोली 
खाली कर जाती 
माँ-बाबा की झोली 

        -डॉ. नितीन उपाध्ये