शीतल बयार लाए
सुरभित वे यादें
मन मेरा महकाए
-अचला झा
अतरंगी वो वादे
ढ़लते ख्वाबों में
कुछ पूरे कुछ आधे
-अचला झा
गलता है गल जाए
माटी का पुतला
माटी में मिल जाए
-अचला झा
कितने दिन बीते हैं
बतियाये तुमसे
मन के घट रीते हैं
-अचला झा
गर मैं उड़ जाऊँगा
तरसेगी जल को
पास नहीं आऊँगा
-अचला झा
मैं बादल मतवाला
समझो न मुझको
बिल्कुल भोला-भाला
-अचला झा
बाली क्यों इतराए
पानी मैं देता
तब ही तू लहराए
-अचला झा