कहना सुन ओ! बच्चे
कुछ दिन रुक जा तू
हैं 'पर' तेरे कच्चे
-आभा खरे
हम उमड़े आये हैं
झोली में अपनी
जीवन जल लाये हैं
-अमिषा अनेजा
जंगल है इक प्यारा
अनगिन पेड़ यहाँ
चिड़ियों का अँगनारा
-मधु गोयल
माँ थपकी दे दो ना
नींद नहीं आती
इक लोरी गाओ ना!
-मधु गोयल
डरने की बात नहीं
सबके जीवन में
दिन भी है, रात कहीं
-डॉ. रेशमा हिंगोरानी
जल्दी घर को जाऊँ
भूखे हैं बच्चे
पंखों में गति लाऊँ
-आभा खरे
तुम निकट नहीं आना
प्रीत अगन ऐसी
पड़ता है जल जाना
-सुधा राठौर
मेघा तुम आ जाओ
बालक हम छोटे
पानी बरसा जाओ
-अमिषा अनेजा
भर-भर आती आँखें
उड़ना ही होगा
छूटेंगी ये शाखें
-आशा पांडेय
धरती से रवि बोला
तुझसे क्या नाता
ना समझा मैं भोला
-सुधा राठौर
दूँगी सबको दाना
भूख लगी तुमको
हाँ, मैंने ये माना
-आभा खरे
देहों के रिश्ते हैं
आज नहीं तो कल
आँखों से रिसते हैं
-निवेदिताश्री
हिम्मत ना हारेंगे
नीड़ नया फिर से
हम मिल के बनाएँगे
-मधु गोयल
माँ अब तक ना आयी
कूद रहे चूहे!
है भूख लगी भाई
-मधु गोयल
खेती बागानों में
लेती अँगड़ाई
धानी परिधानों में
-शिव मोहन सिंह
मक़सद हो जीने का
सूरज जब निकले
हर घूँट को पीने का
-डॉ. रेशमा हिंगोरानी
मत नींद की फ़िक्र करो
अपने काम करो
बातों से नहीं डरो
-डॉ. रेशमा हिंगोरानी
हलधर का श्रम चमके
बादल तू बरसे
माटी का मन महके
-अमिषा अनेजा
मैं बादल मतवाला
समझो न मुझको
बिल्कुल भोला-भाला
-अचला झा
बाली क्यों इतराए
पानी मैं देता
तब ही तू लहराए
-अचला झा