रसिया संग साया है
होली के रंग में
रंग छलिया आया है
-
हंस जैन
साजन जब आन मिले
तब मेरे मन के
उपवन में फूल खिले
-हंस जैन
कुछ बात करो साथी
खामोशी क्यों है
कुछ समझ नहीं आती
-हंस जैन
वो कौन इकाई है
नाप सके दिल की
कितनी गहराई है
-हंस जैन
जिसको अपना माना
जान नहीं पाये
निकला वो बेगाना
-हंस जैन
पल-पल का रस पी ले
कल किसने देखा
आ ! आज अभी जी ले
-हंस जैन
जूते लेकर साली
जीजा से बोली
अब जेब करो खाली
-हंस जैन
पाकर भी कुछ खोना
नदियों से सीखा
हमनें सागर होना
-हंस जैन
तुमको जबसे खोया
यादों में तेरी
मन सिसक-सिसक रोया
-हंस जैन
होठों को रहने दो
बातें हैं दिल की
आँखों से कहने दो
-हंस जैन
तेरे सँग-सँग सजनी
कब दिन बीत गया
कब बीत गई रजनी
-हंस जैन
सपनों में आते हो
आकर क्यों जाते
तुम खूब सताते हो
-हंस जैन
है कौन यहाँ अपना
जगने पर देखा
सब है झूठा सपना
-हंस जैन
बीती जाये रैना
नैनो में नैना
कह भी दो जो कहना
-हंस जैन
चल चल री ओ सजनी
चल अब लौट चले
अब बीत रही रजनी
-हंस जैन
तेरे मेरे सपने
जाने कब होंगे
सच में पूरे अपने
-हंस जैन
काहे का इतराना
तन है माटी का
माटी में मिल जाना
-हंस जैन