सब रिश्ते भूल गये
भारत माँ खातिर
फाँसी पर झूल गये
-हरीन्द्र यादव
सब दिन सतरंगी हों
रातें हों प्यारी
प्रेमी जब संगी हों
-किरन सिंह
साँसों का तराना है
जब तक है संग में
हमको तो गाना है
-रीमा दीवान चड्ढा
साजन जब आन मिले
तब मेरे मन के
उपवन में फूल खिले
-हंस जैन
सूरज तो जाएगा
ऊर्जा भर मन में
कल वापस आएगा
-डॉ. नितीन उपाध्ये
सपनों में आए तुम
एक नज़र देखा
फिर हुए कहाँ तुम गुम
-किरन सिंह
सरसों हिलकर बोली
छोडो़ सब झगड़े
अब आयी है होली
-डा० जगदीश व्योम
सरसों का अँगड़ाना
टोना मार गया
कोयलिया का गाना
-डा० जगदीश व्योम
सदियों से घर सूना
राम पधारें तो
आनन्द मिले दूना
-वंदना कुँअर रायज़ादा
सुर चैती-होरी के
मीठे गान सजे
अधरों पे गौरी के
-शशि पाधा
सुख-दुख से नाता है
आँसू का बहना
सबकुछ कह जाता है
-सुधा राठौर
सुख का सपना होना
लहरों की घातें
नम नैनों से कहना
-विभा रानी श्रीवास्तव
साये में यादों की
टीस उभरती है
साजन के वादों की
-योगेन्द्र वर्मा
सपनों के गुल बूटे
ख़ुशियों को मेरी
दुनिया तू क्यों लूटे ?
-आभा खरे
सूरज मतवाला है
किरणों संग फिरे
आशिक दिलवाला है
-शर्मिला चौहान
सावन के हैं झूले
पींग बढ़ा कर के
तू मेरा मन छू ले
-डॉ. अनिल सक्सेना
साँवरिया का आना
आहट होते ही
धड़कन का बढ़ जाना
-सुधा राठौर
सच्चाई के आगे
केवल झूठ नहीं
हर पाप यहाँ भागे
-डॉ. नितीन उपाध्ये
सपनों में आते हो
आकर क्यों जाते
तुम खूब सताते हो
-हंस जैन
सूखे गुल से महकी
साजन की पाती
जब आखर में बहकी
-सुधा राठौर