तालाब बहुत गहरा
तट ने बाँध रखा
चुपचाप वहीं ठहरा
-अमिता शाह 'अमी'
अपने रूठा करते
नेह छलकता दिल
गुस्सा झूठा करते
-अमिता शाह 'अमी'
राहों में खिलते हैं
फूल किनारे पर
माली बिन पलते हैं
-अमिता शाह 'अमी'
ये चाय मसाले की
सुबह-सुबह देती
ऊर्जा मतवाले की
-अमिता शाह 'अमी'