सरसों हिलकर बोली
छोडो़ सब झगड़े
अब आयी है होली
-डा० जगदीश व्योम
सरसों का अँगड़ाना
टोना मार गया
कोयलिया का गाना
-डा० जगदीश व्योम
गेंहूँ गदराया है
बालीं थिरक रहीं
फागुन बौराया है
-डा० जगदीश व्योम
भँवरा तो आता है
गुमसुम कलियों का
घूँघट खुलवाता है
-डॅा. जगदीश व्योम
स्कूल माहिये का
हमको सिखलाता
जीवन दो पहिये का
-डॅा. जगदीश व्योम
है सफर पहाड़ों का
सूरज की छुट्टी
मौसम है जाड़ों का
-डा० जगदीश व्योम
बादल घिर आये हैं
भर-भर कर मटकी
जल लेकर आये हैं।
-डा० जगदीश व्योम
भँवरा जब आता है
गुमसुम कलियों का
घूँघट खुलवाता है
-डा. जगदीश व्योम