तुम दूर न अब जाना
होली का मौसम
मन मेरा रँग जाना
-किरन सिंह
सब दिन सतरंगी हों
रातें हों प्यारी
प्रेमी जब संगी हों
-किरन सिंह
हम दूर कहीं जाएँ
दोनों ही प्रेमी
अपनी दुनिया पाएँ
-किरन सिंह
होली तो अब हो ली
रंग गुलाल लिए
आई छलिया टोली
-किरन सिंह
महकी-महकी गलियाँ
माही के आते
खिल जाती हैं कलियाँ
-किरन सिंह
सपनों में आए तुम
एक नज़र देखा
फिर हुए कहाँ तुम गुम
-किरन सिंह
मौसम फगुआ आया
प्रेमी-मन खेलें
साजन पर रँग छाया
-किरन सिंह
कच्चे घर प्यारे थे
उनमें प्यार बसा
वे लगते न्यारे थे
-किरन सिंह
खेलो कान्हा होली
सखियाँ आयीं हैं
राधा की हमजोली
-किरन सिंह
चंदा सज धज आया
रौशन है आँगन
सँग तारे भी लाया
-किरन सिंह
माही मेरे माही
तुझसे मिलने को
मैं बनी प्रेम राही
-किरन सिंह
मधुमास बड़ा प्यारा
प्रेमी दिल मिलते
मधुवन खिलता सारा
-किरन सिंह
ख़ुशियों का क्या कहना
जीवन में इनको
है कुछ पल ही रहना
-किरन सिंह
माँ सब कुछ सहती है
प्रीत उसी माँ की
साँसों में बहती है
-किरन सिंह
कान्हा मथुरा आये
प्रेम गोपियों का
यादों में ले आये
-किरन सिंह
पीहर की बात चली
कैसे ना बोलूँ
ममता ही वहाँ पली
-किरन सिंह
कलियाँ खिल जातीं हैं
प्रेम राग सुनकर
भँवरों सँग गातीं हैं
-किरन सिंह
सरसों अब पियराई
ऋतु वसंत में जब
पाती पिय की आई
-किरन सिंह
जीवन खुश हो जी लें
साजन संग रहें
हम नेह सुधा पी लें
-किरन सिंह
तुम शाम ढले आना
आँखों आँखों में
कुछ बातें कर जाना
-किरन सिंह