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2024-04-08

महलों में मधु कलियाँ

महलों में मधु कलियाँ
रंग-बिरंगी सी
लगतीं चंचल परियाँ

        -सुषमा चौरे

2024-04-05

गदराई पुरवाई

गदराई पुरवाई
बहकी फिरती है
प्रेमी-सी पगलाई

        -सुषमा चौरे

2024-03-22

आँगन भी थे कच्चे

आँगन भी थे कच्चे
घर थे माटी के
पर रिश्ते थे सच्चे

        -सुषमा चौरे

2024-03-17

परदेसी घर आजा

परदेसी घर आजा
बहुत कमाया धन
माँ तकती दरवाजा

        -सुषमा चौरे

2024-03-10

मौसम करवट बदले

मौसम करवट बदले
हलचल है मन में
भौरों का दिल मचले

        -सुषमा चौरे

नव यौवन फूट रहा

नव यौवन फूट रहा
सुप्त पड़े पौधे
आलस अब छूट रहा

        -सुषमा चौरे

बासंती मन भाया

बासंती मन भाया
दहक रहा टेसू
जंगल है बौराया

        -सुषमा चौरे

झिलमिल-झिलमिल तारे

झिलमिल-झिलमिल तारे 
ओस भरी चादर
ओढ़े जंगल सारे

        -सुषमा चौरे

आ बैठ करें बातें

आ बैठ करें बातें
लम्बी-लम्बी है 
विरहा की ये रातें

        -सुषमा चौरे

बचपन की यादों से

बचपन की यादों से
दूर चले आये
मजबूत इरादों से

        -सुषमा चौरे

आँखों में पानी है

आँखों में पानी है
सुख-दुख साथ लिए
 गम्भीर कहानी है

        -सुषमा चौरे

वो टूट के बिखरी है

वो टूट के बिखरी है
माँ तुम जैसी ही
चोटों से निखरी है

-सुषमा चौरे

होली में ख़त मेरे

होली में ख़त मेरे 
आज जला देना
फिर लेना तुम फेरे

        -सुषमा चौरे

2024-03-06

सोना बनकर तपती

सोना बनकर तपती
निखर रही हर पल
नारी-सी है धरती

        -सुषमा चौरे

ये प्रेम भरी नदियाँ

ये प्रेम भरी नदियाँ
पार उतरने में
लग जाती है सदियाँ

        -सुषमा चौरे

ढलती शामें कहतीं

ढलती शामें कहतीं
ये जीवन-बाती
बुझती जलती रहतीं

        -सुषमा चौरे

अब सोचा, अब कर लो

अब सोचा, अब कर लो
खबर कहाँ कल की
 दुख दूजों का हर लो

        -सुषमा चौरे

खट्टे-मीठे-खारे

खट्टे-मीठे-खारे
स्वाद भरा जीवन
महसूस हुए सारे

        -सुषमा चौरे