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2024-04-08

मौसम कैसा आया

मौसम कैसा आया
घातक रोगों से
मेरा मन घबराया

        -डॉ. मंजू यादव

2024-03-11

कजरा बह जाता है

कजरा बह जाता है
तेरी याद लिए
गजरा रह जाता है

    -डॉ. मंजू यादव

2024-03-06

इक बार चले आना

इक बार चले आना
राह तके शबरी
प्रभु भूल नहीं जाना 
 
      -डॉ. मंजू यादव

2024-03-05

कितने भी हों पहरे

कितने भी हों पहरे
आकर फूलों से
करते बातें भँवरे

        -डॉ. मंजू यादव

माँ ऐसी होती है

माँ ऐसी होती है
बच्चों की खातिर
गीले में सोती है
  
    -डॉ. मंजू यादव

दिल तोड़ गया सपना

दिल तोड़ गया सपना
निंदिया भागी यूँ
ज्यों रूठ गया अपना

     -डॉ. मंजू यादव

2024-03-04

छत पर चहकी चिड़िया

छत पर चहकी चिड़िया
भोर हुई साथी
अब आये न निंदिया

          -डा० मंजू यादव