मौसम कैसा आया
घातक रोगों से
मेरा मन घबराया
-डॉ. मंजू यादव
कजरा बह जाता है
तेरी याद लिए
गजरा रह जाता है
-डॉ. मंजू यादव
इक बार चले आना
राह तके शबरी
प्रभु भूल नहीं जाना
-डॉ. मंजू यादव
कितने भी हों पहरे
आकर फूलों से
करते बातें भँवरे
-डॉ. मंजू यादव
माँ ऐसी होती है
बच्चों की खातिर
गीले में सोती है
-डॉ. मंजू यादव
दिल तोड़ गया सपना
निंदिया भागी यूँ
ज्यों रूठ गया अपना
-डॉ. मंजू यादव
छत पर चहकी चिड़िया
भोर हुई साथी
अब आये न निंदिया
-डा० मंजू यादव