कविता की पाठशाला
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व्योम के पार
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*मीनू खरे
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2024-03-11
बेटी तुझको पाया
बेटी तुझको पाया
लगता है मैंने
ख़ुद को ही दोहराया
-मीनू खरे
2024-03-05
रूठा-रूठी छोड़ो
रूठा-रूठी छोड़ो
अरघ चाँद को दो
निर्जल व्रत तुम तोड़ो !
-मीनू खरे
चन्दा बन जाऊँगा
चन्दा बन जाऊँगा
दरस दिखाने को
तुझको तरसाऊँगा!
-मीनू खरे
2024-03-03
ये कैसा समय आया
ये कैसा समय आया
अपने ग़ैर बने
ग़ैरों ने अपनाया
-मीनू खरे
2024-03-01
ओ नन्हे धान कुँवर
ओ नन्हे धान कुँवर
मेरा मूड नहीं
रुक जा कुछ देर ठहर
-मीनू खरे
मुझको कहते सनकी
मुझको कहते सनकी
समझो कुछ बातें
तुम भी मेरे मन की!
-मीनू खरे
माना ग़लती उनकी
माना ग़लती उनकी
कैसे जियूँगा जो
बूँदे न मिलीं जल की
-मीनू खरे
2024-01-16
ना मैं इतराता हूँ
ना मैं इतराता हूँ
बेबस हूँ कितना
तुमको बतलाता हूँ
-मीनू खरे
2023-05-30
बरसूँगा इसी पहर
बरसूँगा इसी पहर
परसेगी बरखा
मुस्का दो धान कुँवर
-मीनू खरे
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