ये बाग-बगीचे हैं
खून बहा कर के
पुरखों ने सींचे हैं
-हरीन्द्र यादव
ये दुनिया इक मेला
चार दिनों के रँग
फिर संध्या की बेला
-सोनम यादव
ये बादल आवारा
पंछी सा फिरता
नभ में मारा-मारा
-मधु गोयल
यादों का क्या कहना
समय चुरा कर के
चुपके से है बहना
-रीमा दीवान चड्ढा
ये पेड़ अजूबे हैं
देकर हरियाली
सूखे से जूझे हैं
-नेहा कटारा पाण्डेय
ये चाय मसाले की
सुबह-सुबह देती
ऊर्जा मतवाले की
-अमिता शाह 'अमी'
यह फूलों की क्यारी
महकी ख़ुशबू से
मन मेरा बलिहारी
-चित्रा गुप्ता
ये मन क्यों बौराया
चाहत अनजानी
फिरता है पगलाया
-सुधा राठौर
ये सूरज बंजारा
भटके है दिन भर
ना कोई अँगनारा
-मधु गोयल
ये प्रेम भरी नदियाँ
पार उतरने में
लग जाती है सदियाँ
-सुषमा चौरे
ये दर्द किसानों का
कोई मोल नहीं
इनके अहसानों का
-राम सागर यादव
ये प्रीत पुरानी है
अधरों पर फैली
मुसकान निशानी है
-डॅा. सुरंगमा यादव
ये मौन हमारा है
मत ज्यादा बोलो
बस एक इशारा है
-अविनाश बागड़े
यह देह पुरानी है
बखिया तुरपन कर
कुछ और चलानी है
-निवेदिताश्री
यह बात तभी जानूँ
मन के आँचल में
छिप पाओ तो मानूँ
-शशि पाधा
यह खेल पुराना है
आँख मिचौनी को
प्रेमी ने जाना है
-शशि पाधा
यह जीवन का मेला
माया में खोया
यह दो पल का खेला
-सुधा राठौर
ये कैसा समय आया
अपने ग़ैर बने
ग़ैरों ने अपनाया
-मीनू खरे
ये किसकी आहट है
द्वारे खोल खड़ी
मिलने की चाहत है
-शशि पाधा
यह कैसा नाता है
सुख दुःख दोनों में
दिल माँ ही कहता है
-शशि पाधा