जोड़ा या घटाया है
चलती साँसों में
सजना को पाया है
-बुशरा तबस्सुम
जगती हैं जब चाहें
मिल ही जाती हैं
अंजानी दो राहें
-बुशरा तबस्सुम
तितली उड़ के जाना
पौधे हैं जीवन
मानुष को समझाना
-बुशरा तबस्सुम
बदला ये मौसम है
धूल भरे वन में
डरता मेरा मन है
-बुशरा तबस्सुम
बारिश तो भाती है
धूल लगी जो तन
उसको धो जाती है
-बुशरा तबस्सुम
बूटे पर फूल खिला
गुलशन है महका
तितली का संग मिला
-बुशरा तबस्सुम
तितली से गुल बोला
भाता है तेरा
रंगों वाला चोला
-बुशरा तबस्सुम
तेरा जब संग मिलता
कोमल तन मेरा
मुस्कान लिए खिलता
-बुशरा तबस्सुम
मन एक शिवाला है
पूजन है जिसका
वो भी मतवाला है
-बुशरा तबस्सुम