खड़ताल बजावे है
जोगन बरखा ये
संगीत सुनावे है!
-मधु गोयल
खेलो कान्हा होली
सखियाँ आयीं हैं
राधा की हमजोली
-किरन सिंह
ख़ुशियों का क्या कहना
जीवन में इनको
है कुछ पल ही रहना
-किरन सिंह
खुद से यूँ दूरी है
दर्पण भी कहता
पहचान अधूरी है
-अमित खरे
खट्टे-मीठे-खारे
स्वाद भरा जीवन
महसूस हुए सारे
-सुषमा चौरे
ख़त लिख दो साँवरिया
बिरहा में तेरे
मैं हो गई बावरिया
-मधु गोयल
ख़्वाबों में आते हो
आकर के मुझको
तुम खूब सताते हो
-तूलिका सेठ
खुशबू सौगात हुई
धरती अम्बर में
फूलों की बात हुई
-शशि पाधा
खेती बागानों में
लेती अँगड़ाई
धानी परिधानों में
-शिव मोहन सिंह
खेतों की हरियाली
तुम न अगर बरसो
कैसे हो खुशहाली!
-अमिषा अनेजा