भौंरे मन के काले
चूमें कली-कली
पीते मय के प्याले
-डॉ. अनिल सक्सेना
लंबी काली रातें
गूँजें कानों में
आकर तेरी बातें
-डॉ. अनिल सक्सेना
आओ ये पल जी लें
छलकें प्यार भरे
ये प्याले हम पी लें
-डॉ. अनिल सक्सेना
सावन के हैं झूले
पींग बढ़ा कर के
तू मेरा मन छू ले
-डॉ. अनिल सक्सेना
तुमको अपना माना
दूर हुए जब तुम
तब ही तुमको जाना
-डॉ. अनिल सक्सेना