पा कर भी जब खोना
टूटे सपनों का
फिर क्या रोना धोना ?
-आनन्द.पाठक
भँवरा तो भँवरा है
एक कली पर ही
रहता कब ठहरा है
-आनन्द पाठक
जिस दिल में न हों राधा
साँसें तो पूरीं
लेकिन जीवन आधा
-आनन्द पाठक
रिमझिम रिमझिम बूँदें
चाह यही होगी
तपते मन को छू दें
-आनन्द पाठक