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2024-04-09

शीतल बयार लाए

शीतल बयार लाए
सुरभित वे यादें
मन मेरा महकाए

        -अचला झा

2024-04-08

शासन यूँ चलता था

शासन यूँ चलता था
भेष बदल.. राजा
गलियों में टहलता था

-लक्ष्मी शंकर वाजपेयी

2024-03-11

शब्दों को चुन लाता

शब्दों को चुन लाता
मेरा मन पाखी
रचना बुनता जाता

  -सुधा राठौर

2024-03-05

शाखों पर पुष्प नए

शाखों  पर पुष्प नए
पतझड़ वाले दिन 
लगता  है  बीत  गए

        -शिव मोहन सिंह

2024-03-01

शर्मीली गोरी है

शर्मीली गोरी है
नीले नयनों में
लज्जा की डोरी है

-शशि पाधा