धरती का ये आंचल
भीगा-भीगा सा
छूकर निकला बादल
-अविनाश बागड़े
धूँ-धूँ जल जाना है
माटी का पुतला
माटी हो जाना है
-ममता मिश्रा
धरती से रवि बोला
तुझसे क्या नाता
ना समझा मैं भोला
-सुधा राठौर
धुन बाजे रागों की
बुनती जब लहरें
झालर ये झागों की
-प्रीति गोविंदराज
धरती की सुनती हैं
बरखा की बूँदें
हरियाली बुनती हैं
-योगेन्द्र वर्मा
धन की अपनी महिमा
जिसके पास रहे
बढ़ती उसकी गरिमा
-सुधा राठौर