खड़ताल बजावे है
जोगन बरखा ये
संगीत सुनावे है!
-मधु गोयल
ये बादल आवारा
पंछी सा फिरता
नभ में मारा-मारा
-मधु गोयल
दुःख-सुख का रेला है
चार दिनों का ही
दुनिया का मेला है!
-मधु गोयल
ये सूरज बंजारा
भटके है दिन भर
ना कोई अँगनारा
-मधु गोयल
बागों में झूले हैं
बालम तुम बिन हम
अपनी सुध भूले हैं
-मधु गोयल
रवि! रूठो ना ऐसे
जाड़े के दिन हैं
यूँ काम चले कैसे!
-मधु गोयल
रूठा न करो बालम
तौबा! मुझको तो
तड़पाता ये आलम
-मधु गोयल
अभियान माहिया का
छाया जादू-सा
मोहे मन दुनिया का
-मधु गोयल
पाई-पाई जोड़े
विपदा आये तो
माँ गुल्लक को फोड़े
-मधु गोयल
रुत वासंती आयी
तरुणाई कैसी
ये मन पर है छायी!
-मधु गोयल
आयी रुत वासंती
भेजी पत्तों ने
लिख प्रेम भरी पाती
-मधु गोयल
पीली पगड़ी पहने
ऋतुओं का राजा
आया मन को हरने
-मधु गोयल
अभिनंदन करती हूँ
गुरु-चरणों मे मैं
शत-वंदन करती हूँ
-मधु गोयल
सब सुख मंगल छाये
माता से मिलने
गणपति थे घर आये!
-मधु गोयल
ख़त लिख दो साँवरिया
बिरहा में तेरे
मैं हो गई बावरिया
-मधु गोयल
आहट जब भी आये
समझूँ ये मन में
वो मिलने को आये
-मधु गोयल
जंगल है इक प्यारा
अनगिन पेड़ यहाँ
चिड़ियों का अँगनारा
-मधु गोयल
माँ थपकी दे दो ना
नींद नहीं आती
इक लोरी गाओ ना!
-मधु गोयल
हिम्मत ना हारेंगे
नीड़ नया फिर से
हम मिल के बनाएँगे
-मधु गोयल
माँ अब तक ना आयी
कूद रहे चूहे!
है भूख लगी भाई
-मधु गोयल