बहका-सा मौसम है
कैसे होश रहे
पलकों पे शबनम है
-अविनाश बागड़े
चोरी चोरी चुपके
जीवन को जी लें
थोड़ा सा छुप-छुपके
-अविनाश बागड़े
तारा नभ से टूटा
राज बताना तुम
वो काहे को रूठा
-अविनाश बागड़े
है डूबा-सा सागर
खारे पानी में
ले अश्कों की गागर
-अविनाश बागड़े
परदेस गए सजना
दिन सावन के है
किससे ये गम कहना
-अविनाश बागड़े
बरसे बादल थम के
आज अचानक फिर
मेरे अंगना जम के
-अविनाश बागड़े
तारा कोई टूटा
क्या माँगें उससे
उसका ही घर छूटा
-अविनाश बागड़े
धरती का ये आंचल
भीगा-भीगा सा
छूकर निकला बादल
-अविनाश बागड़े
माई को जब देखा
कहती है दुनिया
हमने तो रब देखा
-अविनाश बागड़े
बरसात सुहानी है
सावन ऋतु देखो
बस पानी पानी है
-अविनाश बागड़े
ये मौन हमारा है
मत ज्यादा बोलो
बस एक इशारा है
-अविनाश बागड़े
कागा बोले जम के
आएगा कोई
देखो थोड़ा थम के
-अविनाश बागड़े
मेहंदी रंग लाएगी
देख हथेली को
दुल्हन मुस्काएगी
-अविनाश बागड़े
जब-जब पानी बरसा
रात अकेले में
तब-तब मन ये तरसा
-अविनाश बागड़े
जुगनू फिर चमके हैं
साँझ सुरमई के
कोने लो महके हैं
-अविनाश बागड़े
सूरज जब आता है
वसुधा पर मेरी
खुशहाली लाता है
-अविनाश बागड़े
सारी खेती बाड़ी
मेघ नहीं आए
लो चूक गई गाड़ी
-अविनाश बागड़े
दीवारें बोल रहीं
कान लगा के सुन
ये हमको तोल रहीं
-अविनाश बागड़े
ईंटा गारा पानी
घर तेरा मेरा
दीवारें-छत-छानी
-अविनाश बागड़े