मद भरी जवानी है
इसके ढलते बस
यादें रह जानी हैं
-राम सागर यादव
ये दर्द किसानों का
कोई मोल नहीं
इनके अहसानों का
-राम सागर यादव
है गंध हवाओं में
देखो पसरा है
ऋतुराज फिजाओं में
-राम सागर यादव
चहुँ ओर अँधेरा है
धरती को फिर से
कुहरे ने घेरा है
-रामसागर यादव
सूने से पनघट हैं
बिन कान्हा के अब
रीते यमुना तट हैं
-रामसागर यादव
पुरखों का लेखा है
कर ले आज अभी
कल किसने देखा है
-रामसागर यादव
बेदर्द जमाना है
तेरी पीड़ा में
ये काम न आना है
-राम सागर यादव
आँखों में बसते हैं
सपने जीवन के
हम-आप तरसते हैं
-राम सागर यादव
ये पूरब की लाली
मिटा गयी इसको
फिर से रजनी काली
-राम सागर यादव
दिन-रात बरसते हैं
मेरे ये नैना
साजन में बसते हैं
-राम सागर यादव
ये पूनम की रातें
याद दिलाती हैं
वे यौवन की बातें
-राम सागर यादव
रोशन घर-द्वार किये
बेटी ने देखो
आँगन गुलजार किये
-राम सागर यादव
त्यौहार अनूठा है
करवा का, चंदा
अब रूठा-रूठा है
-राम सागर यादव
कितना अफसोस बड़ा
भूखा आज यहाँ
जग का भगवान पड़ा
-राम सागर यादव