यादों का क्या कहना
समय चुरा कर के
चुपके से है बहना
-रीमा दीवान चड्ढा
साँसों का तराना है
जब तक है संग में
हमको तो गाना है
-रीमा दीवान चड्ढा
पूरब में रवि आया
सोना हाथों से
कण-कण में बिखराया
-रीमा दीवान चड्ढा
माना तू है ज्वाला
सहनशक्ति मुझ में
मैंने खुद को ढाला
-रीमा दीवान चड्ढा
ये प्रीत अनोखी है
तुझसे ही सजना
मुझमें भी शोखी है
-रीमा दीवान चड्ढा
तुम सुबह जगाते हो
मेरी गलियों में
क्यों तुम आ जाते हो
-रीमा दीवान चड्ढा
हो तुम तो मतवाले
मेरे जीवन के
पर तुम ही रखवाले
-रीमा दीवान चड्ढा