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2024-04-09

मौसम ने हद कर दी

मौसम ने हद कर दी 
घूम रहा पहने 
वो सर्दी की वर्दी

        -आभा खरे

मौसम मनरूप लिये

मौसम मनरूप लिये 
आँगन उतरी है 
बासंती धूप प्रिये 

        -आभा खरे

2024-04-08

दिल से दिल मिलते हैं

दिल से दिल मिलते हैं
रंग भरे मौसम 
सपनों के खिलते हैं

        -आभा खरे

आलम ये मत पूछो

आलम ये मत पूछो
क्या-क्या जतन किये
मिलने को, मत पूछो !

        -आभा खरे

2024-03-11

आँसू बन कर फूटे

आँसू बन कर फूटे 
नाज़ुक लम्हें थे 
हाथों से जो छूटे !

        -आभा खरे

सपनों के गुल बूटे

सपनों के गुल बूटे
ख़ुशियों को मेरी 
दुनिया तू क्यों लूटे ?

        -आभा खरे

कुछ कहते कुछ सुनते

कुछ कहते कुछ सुनते 
उल्फ़त में हम तुम 
इक ख़्वाब हसीं बुनते 

        -आभा खरे

फिरता बंजारा-सा

फिरता बंजारा-सा
भावों के पीछे
मन हारा-हारा सा

        -आभा खरे

2024-03-10

उड़-उड़कर आता है

उड़-उड़कर आता है 
भँवरा कलियों से 
गुप-चुप बतियाता है

        -आभा खरे

2024-03-09

अभियान माहिया का

अभियान माहिया का 
लोक कथाओं से 
जोड़े मन दुनिया का

        -आभा खरे

पुरवाई रात बही

पुरवाई रात बही 
संग उड़ी लेकर 
बातें जो थीं न कही

        -आभा खरे

2024-03-06

बेमौसम आती है

बेमौसम आती है 
बारिश फसलों को 
चौपट कर जाती है !

        -आभा खरे

फिर-फिर उड़ आता है

फिर-फिर उड़ आता है 
भँवरा कलियों से 
गुप-चुप बतियाता है

        -आभा खरे

2024-03-05

थोड़ा सा धीर धरो

थोड़ा सा धीर धरो 
दूर नहीं हूँ मैं 
पलकें तो बंद करो

     -आभा खरे

बोली में मिसरी है

बोली में मिसरी है 
सरल सहज हिन्दी 
अमिरत की गगरी है

        -आभा खरे

सपनों के गाँव-गली

सपनों के गाँव-गली 
पलकों को मींचे 
निंदिया की नाव चली

    -आभा खरे

2024-03-04

जग दो दिन का मेला

जग दो दिन का मेला
साँस चले जब तक 
सुख-दुःख का है खेला

        -आभा खरे

कैसी ये ऋतु आई

कैसी ये ऋतु आई
बगिया में देखो 
फैली है तरुणाई

        -आभा खरे

2024-03-03

राही इक पथ के हम

राही इक पथ के हम 
साथ रहें हर पल 
ख़ुशियाँ हों या हो ग़म

        -आभा खरे

2024-03-01

कुछ अजब तपन सी है

कुछ अजब तपन सी है
ऐसा क्यूँ लगता ?
भारी उलझन सी है!

-आभा खरे