ये दुनिया इक मेला
चार दिनों के रँग
फिर संध्या की बेला
-सोनम यादव
आकाश-धरा झूमे
स्वर्ण-कलश ढलका
रवि-किरणें जल चूमें
-सोनम यादव
भक्ती के उजियारे
दहन होलिका में
पाखंड-कपट हारे
-सोनम यादव
जग-रावन भरमाए
नैना स्वर्ण-हिरन
मन-सीता हो जाए
-सोनम यादव
रंगों संग मुस्काना
बैर भुला मन से
तन पे रंग लगवाना
-सोनम यादव
पाखंड मिटें मन के
दंभ जलाओ जब
होली में सब मिल के
-सोनम यादव
आने वाला सावन
पीहर की सुधियाँ
लाने वाला आँगन
-सोनम यादव
महकी है अमराई
बौराई अमिया
कोयल है शरमाई
-सोनम यादव
आहट फगुनाई की
चितवन रंग भरे
मस्ती पुरवाई की
-सोनम यादव
बैरन हैं ये अँखियाँ
नेह लगा पिय से
छेड़ें हैं सब सखियाँ
-सोनम यादव
बासंती फगुनाई
बौराया मौसम
कोयल सँग अमराई
-सोनम यादव
होलिका दहन करना
दंभ मिटा मन का
खुशियों का रंग भरना
-सोनम यादव
उर में मधुमास भरे
होली का मौसम
रंगों की बात करे
-सोनम यादव
बरसा झम झम बरसे
सागर राह तके
नदिया क्यों तू तरसे
-सोनम यादव
बाबुल तेरा जाना
भूल गए बचपन
भूले हैं मुस्काना
-सोनम यादव
जब हम मुस्काते हैं
हमसे हैं मौसम
हम बादल लाते हैं
-सोनम यादव
हम प्रेमी परवाने
जीवन दे करते
उपकार न तू जाने
-सोनम यादव
जंगल घबराए हैं
दूर हुए हमसे
इंसाँ बौराए हैं
-सोनम यादव
महिमा गुरु की न्यारी
नित रोपें पौधे
खिलती है तब क्यारी
-सोनम यादव
हम माटी गुरु चंदन
शीश नवा कर हम
करते उनका वंदन
-सोनम यादव