भँवरों की गुन-गुन से
कलियाँ बहकी हैं
यौवन की धुन सुनके
-ममता मिश्रा
जल बन के भाप चला
नभ से टकराकर
पानी बनकर पिघला
-ममता मिश्रा
आँगन में धूप झरी
गौरैया नाचे
अम्मा गाए ठुमरी
-ममता मिश्रा
बातों को बहने दो
जो न कहीं तुमने
दिल में ही रहने दो
-ममता मिश्रा
धूँ-धूँ जल जाना है
माटी का पुतला
माटी हो जाना है
-ममता मिश्रा
विद्या तो दौलत है
दामन में अपने
गुरुओं की बदौलत है
-ममता मिश्रा
कैसा दिन आया है
मीलों कोई नहीं
सन्नाटा छाया है
-ममता मिश्रा
आँखों में रात ढली
छत के पर्दे पर
यादों की रील चली
-ममता मिश्रा
प्रीतम मुरली वाला
प्रेम पगी मीरा
पी लेती विष प्याला
-ममता मिश्रा
मैं, मैं से है हारा
हम हो जाता तो
बच जाता जग सारा
-ममता मिश्रा
दरिया जब घबराये
अपना व्याकुल मन
लहरों सँग बहलाये
-ममता मिश्रा
ट्यूलिप का मौसम है
चारों ओर यहाँ
रंगों का आलम है
-ममता मिश्रा
गुरुओं को वंदन है
गुरु का दिन आया
शत-शत अभिनंदन है
-ममता मिश्रा