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2024-03-16

क्या हँसी-ठिठौली थी

क्या हँसी-ठिठोली थी
बाबुल के अँगना
हर रुत ही होली थी 

-शशि पाधा

होली के रंग उड़े

होली के रंग उड़े
नयनों की नगरी
सुख सपने आन जुड़े

-शशि पाधा

सुर चैती-होरी के

सुर चैती-होरी के
मीठे गान सजे
अधरों पे गौरी के

-शशि पाधा

रुत छैल छबीली-सी

रुत छैल छबीली-सी
पनघट आन खड़ी
हर नार सजीली-सी 

-शशि पाधा

ढोलक मंजीरा-सा

ढोलक मंजीरा-सा
रंगों से भीजा
तन दमके हीरा-सा

-शशि पाधा

मौसम मनमाना-सा

मौसम मनमाना-सा
रह-रह छेड़ रहा
वो गीत सुहाना-सा

-शशि पाधा

मुख लाल गुलाल हुआ

मुख लाल गुलाल हुआ
किसको देख लिया 
क्यों ऐसा हाल हुआ 

-शशि पाधा

जादू संगीत हुआ

जादू संगीत हुआ
पल दो पल में ही
बेगाना मीत हुआ

-शशि पाधा

2024-03-05

बूँदें जो झरतीं हैं

बूँदें जो झरतीं हैं 
आँखों की झीलें
हमसे ही भरतीं हैं 

    -शशि पाधा

क्यों रोज़ सताते हो

क्यों रोज़ सताते हो
इक पल दिख जाते
दूजे छिप जाते हो 

        -शशि पाधा

2024-03-04

लो कैसे जाएँगे

लो कैसे जाएँगे
डोरी प्रीत भरी
हम तोड़ न पाएँगे 

   -शशि पाधा

सावन को जाने दो

सावन को जाने दो
तुम तो रुक जाना
त्योहार मनाने दो 

        -शशि पाधा

2024-03-03

आँखों में भर लेंगे

आँखों में भर लेंगे
तुझको मोती सा
पलकों में जड़ लेंगे 
      
        -शशि पाधा

यह बात तभी जानूँ

यह बात  तभी जानूँ
मन के आँचल में
छिप पाओ तो मानूँ 

            -शशि पाधा

यह खेल पुराना है

यह खेल पुराना है
आँख मिचौनी को
प्रेमी ने जाना है 

        -शशि पाधा

हम तो बंजारे हैं

हम तो बंजारे हैं
इत-उत फिरते हैं
औरों से न्यारे हैं 

        -शशि पाधा

ममता की बूँद झरी

ममता की बूँद झरी 
माँ तो  नित भरती
झोली आशीष भरी

        -शशि पाधा

इस जग में न्यारा है

इस जग में न्यारा है
जिस घर माँ रहती
वो ठाकुर द्वारा है

        -शशि पाधा

तू धीर ज़रा रखना

तू धीर ज़रा रखना
कुछ दिन बीतेंगे
भाएगा वो अँगना

        -शशि पाधा

बिधना का लेखा है

बिधना का लेखा है
कैसे समझाऊँ
हाथों की रेखा है 

    -शशि पाधा