मन की धुन सुन प्यारे
कहता है साँची
उस पर चलता जा रे
-नेहा कटारा पाण्डेय
कल मौसम बदलेगा
धुंध छटेगी तब
ये पारा पिघलेगा
-नेहा कटारा पाण्डेय
माटी का पुतला हूँ
होना है माटी
ये सोच न बदला हूँ
-नेहा कटारा पाण्डेय
नारी कब हारी है
ऐसा तप इसका
दुनिया बलिहारी है
-नेहा कटारा पाण्डेय
बस साथ निभाना है
सुख-दुख दोनों से
बढ़कर याराना है
-नेहा कटारा पाण्डेय
दीपक जब जलता है
आँधी तूफां से
वो फिर कब डरता है
-नेहा कटारा पाण्डेय
हँस-हँसकर वार करे
भोली-सी सजनी
जीना दुश्वार करें
-नेहा कटारा पाण्डेय
हर हार सिखाती है
ग़लती सुधरी तो
मंज़िल मिल जाती है
-नेहा कटारा पाण्डेय
ये पेड़ अजूबे हैं
देकर हरियाली
सूखे से जूझे हैं
-नेहा कटारा पाण्डेय
जुगनू जगमग करता
राह चले अपनी
सूरज से कब डरता
-नेहा कटारा पाण्डेय
प्रेमी सब हारा है
मीठी नदिया ने
सागर स्वीकारा है
-नेहा कटारा पाण्डेय
चींटी सिखलाती है
चलते रहने से
मंज़िल मिल जाती है
-नेहा कटारा पाण्डेय
होली जो आई है
याद पिया को कर
गोरी शरमाई है
-नेहा कटारा पाण्डेय
मन हार नहीं माने
कर्म करे जमकर
ये रार नहीं ठाने
-नेहा कटारा पाण्डेय
रिश्ते धागों जैसे
ज़्यादा उलझे तो
सुलझेंगे फिर कैसे
-नेहा कटारा पाण्डेय