नारी कब हारी है
ऐसा तप इसका
दुनिया बलिहारी है
-नेहा कटारा पाण्डेय
ना ही मैंने जाना
ना तू जाने, फिर
कैसा ताना बाना
-संतोष भाऊवाला
नव यौवन फूट रहा
सुप्त पड़े पौधे
आलस अब छूट रहा
-सुषमा चौरे
नयनों में आँज लिये
प्रीत भरे आखर
गजरे में बाँध लिये
-शशि पाधा
ना मैं इतराता हूँ
बेबस हूँ कितना
तुमको बतलाता हूँ
-मीनू खरे
नववर्ष सुहाना है
हों शुभ संकल्पित
लक्ष्यों को पाना है
-मीतू कानोडिया
नित पाठ नया सीखें
उर में ज्ञान भरें
लेखन में दम दीखे
-सोनम यादव
नभ की सुर्खी कम है
ठिठुर रहे पाखी
सूरज भी मद्धम है
-मीतू कानोडिया
नववर्ष पधारा है
पवन बसंती ने
फूलों से सँवारा है
-सोनम यादव
नारी मत खुद की सुन
दीपक बन जा, फिर
अँधियारों में हो गुम
-सोनम यादव
नभ से हिम जल बरसे
पर्वत श्वेत हुए
सारी धरती हरसे
-सोनम यादव
नववर्ष मुबारक़ हो
स्वस्थ सभी जन हो
उन्नति का कारक हो
-निवेदिताश्री
नववर्ष मिला हमको
स्वप्न तराशें हम
खोयें ना अवसर को
-डा. सुरंगमा यादव
नैनों से झरते हैं
तेरे ये आँसू
मन व्याकुल करते हैं
-आभा खरे