सब रिश्ते भूल गये
भारत माँ खातिर
फाँसी पर झूल गये
-हरीन्द्र यादव
सदियों से घर सूना
राम पधारें तो
आनन्द मिले दूना
-वंदना कुँअर रायज़ादा
रोगी तो मन का है
वैदा भरमाये
ढूँढ़े वह तन का है
-रंजना झा
राहों में खिलते हैं
फूल किनारे पर
माली बिन पलते हैं
-अमिता शाह 'अमी'
बादल तो पागल है
धरती की देखो
भर देता छागल है
-अंशु विनोद गुप्ता
बूँदों की लड़ियाँ हैं
धरती अम्बर को
जोड़े ये कड़ियाँ हैं
-निशा कोठारी
सुख का सपना होना
लहरों की घातें
नम नैनों से कहना
-विभा रानी श्रीवास्तव
बाग़ों में हैं झूले
कैसे आऊँ सखि
साजन तो हैं भूले
-डॉ सुनीता यादव
कल छत पर तुम आना
मीठे बोल सुना
दिल में ही बस जाना
-डॉo सोनी वर्मा
मदहोशी का आलम
छाए हो मन के
मधुबन में तुम बालम
-अल्पा जे तन्ना
बचपन है मस्ताना
ना ताना बाना
खुशियों से याराना
-संतोष भाऊवाला
फूलों संग खिलने की
मिल जाओ साजन
आई रुत मिलने की
-डी के निवातिया
जननी की प्यारी है
बाबुल की तनया
रिश्तों में न्यारी है
-दया शंकर प्रसाद
जग का पालन हारा
भूखा बेचारा
फिरता मारा मारा
-राय कूकणा
झर-झर सावन बरसे
मौसम का जादू
प्रेमी मन क्यों तरसे
-किरन सिंह
काहे का इतराना
तन है माटी का
माटी में मिल जाना
-हंस जैन
दुनिया का मेला है
इतने लोग मगर
हर व्यक्ति अकेला है
-रेखा राजवंशी
दिल सागर जैसा है
मिल जावें नदियाँ
माही तू ऐसा है
-शेख़ शहज़ाद उस्मानी
छत पर चहकी चिड़िया
भोर हुई साथी
अब आये न निंदिया
-डा० मंजू यादव
संदेशे जो लाएँ
सुखद हवाएँ वो
मन शीतल कर जाएँ
-शर्मिला चौहान