ये बाग-बगीचे हैं
खून बहा कर के
पुरखों ने सींचे हैं
-हरीन्द्र यादव
माँ की खातिर मरते
वीर शहीदों को
कर जोड़ नमन करते
-हरीन्द्र यादव
सब रिश्ते भूल गये
भारत माँ खातिर
फाँसी पर झूल गये
-हरीन्द्र यादव
ये दुनिया इक मेला
चार दिनों के रँग
फिर संध्या की बेला
-सोनम यादव
रसिया संग साया है
होली के रंग में
रंग छलिया आया है
-
हंस जैन
मन की धुन सुन प्यारे
कहता है साँची
उस पर चलता जा रे
-नेहा कटारा पाण्डेय
तुम दूर न अब जाना
होली का मौसम
मन मेरा रँग जाना
-किरन सिंह
तालाब बहुत गहरा
तट ने बाँध रखा
चुपचाप वहीं ठहरा
-अमिता शाह 'अमी'
अपने रूठा करते
नेह छलकता दिल
गुस्सा झूठा करते
-अमिता शाह 'अमी'
खड़ताल बजावे है
जोगन बरखा ये
संगीत सुनावे है!
-मधु गोयल
भँवरों की गुन-गुन से
कलियाँ बहकी हैं
यौवन की धुन सुनके
-ममता मिश्रा
ये बादल आवारा
पंछी सा फिरता
नभ में मारा-मारा
-मधु गोयल
रवि राका में झलके
शरद पूर्णिमा है
घट अमृत का छलके
-अमित खरे
कल मौसम बदलेगा
धुंध छटेगी तब
ये पारा पिघलेगा
-नेहा कटारा पाण्डेय
अनगढ़ अनजानी है
राहें जीवन की
अपनी बेगानी है
-मीनाक्षी कुमावत 'मीरा'
चिड़ियाँ क्यों गाती हैं
रोज सुबह उठकर
कुछ गीत सुनाती हैं
-चन्द्रभान मैनवाल
गाते हैं हुरियारे
चहक उठे रे मन
होली खेलें सारे
-शेख़ शहज़ाद उस्मानी
मन याद सदा रखना
जो भी बाँटा है
इक दिन वो ही मिलना
-मीनाक्षी कुमावत 'मीरा'
सब दिन सतरंगी हों
रातें हों प्यारी
प्रेमी जब संगी हों
-किरन सिंह
हम दूर कहीं जाएँ
दोनों ही प्रेमी
अपनी दुनिया पाएँ
-किरन सिंह