बदरी छा जाती है
सावन में बिटिया
माँ के घर आती है
-अमिषा अनेजा
कारे धुँधुआरे हैं
हलधर को बदरा
प्रानों से प्यारे हैं
-अमिषा अनेजा
हम उमड़े आये हैं
झोली में अपनी
जीवन जल लाये हैं
-अमिषा अनेजा
मेघा तुम आ जाओ
बालक हम छोटे
पानी बरसा जाओ
-अमिषा अनेजा
हलधर का श्रम चमके
बादल तू बरसे
माटी का मन महके
-अमिषा अनेजा
खेतों की हरियाली
तुम न अगर बरसो
कैसे हो खुशहाली!
-अमिषा अनेजा