दिल से दिल मिलते हैं
रंग भरे मौसम
सपनों के खिलते हैं
-आभा खरे
देखो भर मत सपने
वो तरकीब करो
सब सपने हों अपने
-लक्ष्मी शंकर वाजपेयी
दीपक जब जलता है
आँधी तूफां से
वो फिर कब डरता है
-नेहा कटारा पाण्डेय
दुःख-सुख का रेला है
चार दिनों का ही
दुनिया का मेला है!
-मधु गोयल
दिल तोड़ गया सपना
निंदिया भागी यूँ
ज्यों रूठ गया अपना
-डॉ. मंजू यादव
दिन कैसा ये आया
साथ नहीं कोई
केवल अपना साया
-विद्या चौहान
दीपक की ज्योति जली
जुगनू भी चमके
महकी ये रात कली
-पूनम मिश्रा 'पूर्णिमा'
दुनिया का मेला है
इतने लोग मगर
हर व्यक्ति अकेला है
-रेखा राजवंशी
दिल सागर जैसा है
मिल जावें नदियाँ
माही तू ऐसा है
-शेख़ शहज़ाद उस्मानी
दुनिया के मेले में
सपने खोज रहे
हम आप अकेले में
-पूनम मिश्रा पूर्णिमा
दो रोज जवानी है
इठला मत पगले
इक दिन उड़ जानी है
-ईप्सा यादव
दर्पण सच कहता है
मान लिया लेकिन
पूरा कब कहता है
-तनवीर आलम
दिल को काबू कर लो
अच्छी सोच रखो
ढ़ेरों खुशियाँ भर लो
-डॉ. रेशमा हिंगोरानी
दिन वर्ष भले बढ़ते
अनुभव यात्रा के
अध्याय नये जुड़ते
-मीतू कानोडिया
दीवारें बोल रहीं
कान लगा के सुन
ये हमको तोल रहीं
-अविनाश बागड़े
दूँगी सबको दाना
भूख लगी तुमको
हाँ, मैंने ये माना
-आभा खरे
दुनिया के मेले में
लाखों लोग मिलें
पड़ना न झमेले में
-अन्नदा पाटनी
देहों के रिश्ते हैं
आज नहीं तो कल
आँखों से रिसते हैं
-निवेदिताश्री
दुख आकर ठहरा है
भीगी पलकों का
बातों पर पहरा है
-शिव मोहन सिंह
दुश्मन डाले डेरा
शातिर गिद्धों का
जंगल में है फेरा
-आभा खरे