आभास अनोखा है
तू ही तू दिखता
ये मन का धोखा है
-सुरंगमा यादव
मधुमास मधुर छाया
मन के उपवन में
कोकिल बन तू आया
-सुरंगमा यादव
घर में जो आयी है
उसका मान करो
दूजे की जायी है
-सुरंगमा यादव
बगिया ये जीवन की
चार दिवस खिलतीं
कलियाँ ये यौवन की
-सुरंगमा यादव
अब दूर न जायेंगे
सुख-दुःख जीवन के
हम संग उठायेंगे
-सुरंगमा यादव
पाया है तुम्हें जब से
भाग्य बड़ा अपना
प्यारा लगता तब से
-सुरंगमा यादव
जन्मों के नाते हैं
जब तुमको देखूँ
नैना सुख पाते हैं
-सुरंगमा यादव
ये प्रीत पुरानी है
अधरों पर फैली
मुसकान निशानी है
-डॅा. सुरंगमा यादव
जादू कैसा डाला
मादक नयन लगें
जैसे हों मधुशाला
-सुरंगमा यादव
नववर्ष मिला हमको
स्वप्न तराशें हम
खोयें ना अवसर को
-डा. सुरंगमा यादव