तुमसे ही जीवन है
कहने को बिटिया
अम्मा जैसा मन है
-निवेदिताश्री
बिटिया घर आयी है
चलती अब देखो
मीठी पुरवाई है
-निवेदिताश्री
रीझे तब मनमीते
चलनी से ताकें
जब राधा औ सीते
-निवेदिताश्री
माटी मिल जाएगी
आत्मा तो नश्वर
नव तन ले आएगी
-निवेदिताश्री
तरसा लो तुम सइयाँ
जब दिख जाओगे
धर लूँगी मैं बइयाँ
-निवेदिताश्री
भोग्या न समझ माही
लक्ष्मी हूँ घर की
मैं तेरी हमराही
-निवेदिताश्री
पुस्तक में गुल सूखा
याद दिलाता है
माही कोई रूखा
-निवेदिताश्री
कुछ दिन का बाना है
मन पावन कर ले
अब घर को जाना है
-निवेदिताश्री
यह देह पुरानी है
बखिया तुरपन कर
कुछ और चलानी है
-निवेदिताश्री
टूटे दिल जुड़ जाएँ
शक्ति कलम को दो
कुछ ऐसा लिख पाएँ
-निवेदिताश्री
बादल काका आओ
गर्मी बहुत लगे
पानी बरसा जाओ
-निवेदिता श्रीवास्तव
क्या मन में बात कहो
प्यासा मन मेरा
पानी बन आज बहो
-निवेदिताश्री
आया जी लो आया
झेलो अब वर्षा
जलमय होगी काया
-निवेदिताश्री
देहों के रिश्ते हैं
आज नहीं तो कल
आँखों से रिसते हैं
-निवेदिताश्री
कर वादा एक अभी
दारू गुटका को
छूएगा नहीं कभी
-निवेदिताश्री
रब पर विश्वास करो
दूत उसी के हम
सच्ची तुम आस धरो
-निवेदिताश्री
विपदा की घड़ियाँ हैं
सब्र ज़रा हो तो
अनुपम यह कड़ियाँ हैं
-निवेदिताश्री
नववर्ष मुबारक़ हो
स्वस्थ सभी जन हो
उन्नति का कारक हो
-निवेदिताश्री
सर्दी हो गर्मी हो
साथ निभे जब तक
लहज़े में नर्मी हो
-निवेदिताश्री