पनघट पर छूट गया
दिल चुपके कोई
हँस करके लूट गया
-मीनाक्षी कुमावत 'मीरा'
पीड़ाओं का घर है
जो भी है दुनिया
रहना तो यहीं पर है
-लक्ष्मी शंकर वाजपेयी
पाखंड मिटें मन के
दंभ जलाओ जब
होली में सब मिल के
-सोनम यादव
पर्वत-घाटी छोड़े
सागर से मिलने
नदिया भागे-दौड़े
-डॉ. नितीन उपाध्ये
पल-पल का रस पी ले
कल किसने देखा
आ ! आज अभी जी ले
-हंस जैन
परदेसी घर आजा
बहुत कमाया धन
माँ तकती दरवाजा
-सुषमा चौरे
पा कर भी जब खोना
टूटे सपनों का
फिर क्या रोना धोना ?
-आनन्द.पाठक
प्रेमी सब हारा है
मीठी नदिया ने
सागर स्वीकारा है
-नेहा कटारा पाण्डेय
पाकर भी कुछ खोना
नदियों से सीखा
हमनें सागर होना
-हंस जैन
पाकर तुमको खोना
दुख की बातें हैं
जीवन भर का रोना
-रूबी दास
पीहर की बात चली
कैसे ना बोलूँ
ममता ही वहाँ पली
-किरन सिंह
पाई-पाई जोड़े
विपदा आये तो
माँ गुल्लक को फोड़े
-मधु गोयल
पुरवाई रात बही
संग उड़ी लेकर
बातें जो थीं न कही
-आभा खरे
परदेस गए सजना
दिन सावन के है
किससे ये गम कहना
-अविनाश बागड़े
पाखी चुगती दाना
छोड़ हृदय अँगना
इक दिन है उड़ जाना
-विद्या चौहान
पीली पगड़ी पहने
ऋतुओं का राजा
आया मन को हरने
-मधु गोयल
पाया है तुम्हें जब से
भाग्य बड़ा अपना
प्यारा लगता तब से
-सुरंगमा यादव
पूरब में रवि आया
सोना हाथों से
कण-कण में बिखराया
-रीमा दीवान चड्ढा
पेड़ों की बात सुनों
कहते क्या हमसे
इनके जज्बात बुनो
-अनुपमा झा
पीड़ा को सहने दो
चिर विरहिन प्यासी
प्यासा ही रहने दो
-शिव मोहन सिंह