बँटवारा तेरा था
चाँद तुम्हारा था
आकाश हमारा था
-शिव मोहन सिंह
वो दिन भी क्या दिन थे
होठों पर नगमे
आँखों में सावन थे
-शिव मोहन सिंह
चाहत है यारी है
बाकी तो माना
सब दुनिया दारी है
-शिव मोहन सिंह
शाखों पर पुष्प नए
पतझड़ वाले दिन
लगता है बीत गए
-शिव मोहन सिंह
आँखों को बहने दो
मन की कुछ बातें
मन में ही रहने दो
-शिव मोहन सिंह
पीड़ा को सहने दो
चिर विरहिन प्यासी
प्यासा ही रहने दो
-शिव मोहन सिंह
पलकों को गिरने दो
सो जाऊँ जब मैं
नीदों को सपने दो
-शिव मोहन सिंह
सुनने दो कहने दो
जख्मों पर मरहम
बातों की रखने दो
-शिव मोहन सिंह
खेती बागानों में
लेती अँगड़ाई
धानी परिधानों में
-शिव मोहन सिंह
दुख आकर ठहरा है
भीगी पलकों का
बातों पर पहरा है
-शिव मोहन सिंह
बहती है पुरवाई
महकाये मन को
उपवन की अमराई
-शिव मोहन सिंह