रसिया संग साया है
होली के रंग में
रंग छलिया आया है
-
हंस जैन
रवि राका में झलके
शरद पूर्णिमा है
घट अमृत का छलके
-अमित खरे
रंगों संग मुस्काना
बैर भुला मन से
तन पे रंग लगवाना
-सोनम यादव
रोगी तो मन का है
वैदा भरमाये
ढूँढ़े वह तन का है
-रंजना झा
राहों में खिलते हैं
फूल किनारे पर
माली बिन पलते हैं
-अमिता शाह 'अमी'
रुत छैल छबीली-सी
पनघट आन खड़ी
हर नार सजीली-सी
-शशि पाधा
रवि! रूठो ना ऐसे
जाड़े के दिन हैं
यूँ काम चले कैसे!
-मधु गोयल
रूठा न करो बालम
तौबा! मुझको तो
तड़पाता ये आलम
-मधु गोयल
रिश्तों की होली में
दर्पण जीत गया
इस आँख मिचोली में
-अजय कनोडिया
रुत वासंती आयी
तरुणाई कैसी
ये मन पर है छायी!
-मधु गोयल
रिश्ते धागों जैसे
ज़्यादा उलझे तो
सुलझेंगे फिर कैसे
-नेहा कटारा पाण्डेय
रूठा-रूठी छोड़ो
अरघ चाँद को दो
निर्जल व्रत तुम तोड़ो !
-मीनू खरे
रीझे तब मनमीते
चलनी से ताकें
जब राधा औ सीते
-निवेदिताश्री
रिमझिम सावन बरसे
राह तकूँ सजना
मिलने को मन तरसे
-विद्या चौहान
रातें करती उजली
इसकी कदर करो
एक शक्ति है बिजली
-अमित खरे
रूठे जो तुम सजना
भूल गए देखो
कंगना चूड़ी बजना
-सुधा राठौर
राही इक पथ के हम
साथ रहें हर पल
ख़ुशियाँ हों या हो ग़म
-आभा खरे
राधा ने याद किया
बंसी धुन गूँजी
कृष्णा ने दरस दिया
-आनंद खरे
ऋतु सोहर गाती हैं
चिड़िया बच्चों को
जीना सिखलाती हैं !
-त्रिलोचना कौर
रंगत स्वर्णिम पायी
मतवाली सरसों
तब ही तो इठलायी
-सुधा राठौर