झंडे की शान रहे
निज सम्मान रहे
गणतंत्र महान रहे
-अमित खरे
झरनों से उछलती है
नदिया, सागर से
मिलने को मचलती है
-डॉ अर्चना पाण्डेय
झिलमिल-झिलमिल तारे
ओस भरी चादर
ओढ़े जंगल सारे
-सुषमा चौरे
झर-झर सावन बरसे
मौसम का जादू
प्रेमी मन क्यों तरसे
-किरन सिंह
झूले में सावन के
यादों की बूँदें
साजन मनभावन के
-योगेन्द्र वर्मा