तन पर सौ-सौ पहरे
लेकिन मन-पाखी
कब एक जगह ठहरे!
-सुधा राठौर
तुझ में अनुरत होकर
ढूँढ लिया तुझ को
हमने ख़ुद को खोकर
-अमित खरे
तू धीर ज़रा रखना
कुछ दिन बीतेंगे
भाएगा वो अँगना
-शशि पाधा
तू प्यारी प्राणों से
बिटिया पाई है
हमने वरदानों से
-शशि पाधा
तेरा जब संग मिलता
कोमल तन मेरा
मुस्कान लिए खिलता
-बुशरा तबस्सुम
तू भी है मतवाला
बैन रसीले हैं
छलका मधु का प्याला
-आभा खरे
तुम निकट नहीं आना
प्रीत अगन ऐसी
पड़ता है जल जाना
-सुधा राठौर
तुम भूल नहीं जाना
देने लेने की
यह रीत निभा जाना
-सुधा राठौर
तुम सुबह जगाते हो
मेरी गलियों में
क्यों तुम आ जाते हो
-रीमा दीवान चड्ढा
तन-ताल भरा पानी
प्राणों की बाती
धीरे से जल जानी
-सोनम यादव
तितली सी आती हो
रंग खुशी के तुम
घर में बिखराती हो
-चित्रा गुप्ता
त्यौहार अनूठा है
करवा का, चंदा
अब रूठा-रूठा है
-राम सागर यादव
तम से क्या घबराना
कौन सदा रहता
जग है आना-जाना
-चन्द्रभान मैनवाल