दिल मेरा जलता है
अपनी ज्वाला से
हर वक़्त दहकता है
-सुधा राठौर
दाना चुगने जाती
बाहर मत जाना
मैं जब तक ना आती!
-आभा खरे
दोनों पलड़े भारी
पी-घर या पीहर
किस ओर झुके नारी!
दिल ढूँढ रहा प्रियतम
आन मिलो अब तो
मैं राह तकूँ हरदम
-राकेश गुप्ता
दुखती जोड़ें भूली
खेलूँ पोती सँग
थोड़ी साँसें फूलीं
-प्रीति गोविंदराज
दिन-रात बरसते हैं
मेरे ये नैना
साजन में बसते हैं
-राम सागर यादव
दरिया जब घबराये
अपना व्याकुल मन
लहरों सँग बहलाये
-ममता मिश्रा
दाना चुगने आतीं
भिनसारे छत पर
चिड़ियाँ भैरव गातीं
-सुधा राठौर,
दिन सर्दी के आये
अलसायी धरती
सूरज भी कुम्हलाये
-जयंती कुमारी