पलकों को गिरने दो
सो जाऊँ जब मैं
नीदों को सपने दो
-शिव मोहन सिंह
पुस्तक में गुल सूखा
याद दिलाता है
माही कोई रूखा
-निवेदिताश्री
पीली-पीली सरसों
ओ मनहर मितवा
हम संग रहें बरसों
-ममता शर्मा
पीपल की छाया-सी
माँ की ममता है
दुख-सुख में साया-सी
-मीनाक्षी कुमावत मीरा
पहने बूँदें-पायल
छम-छम नाच रहीं
मन विरहन का घायल !
-त्रिलोचना कौर
पत्ते लहराते हैं
बहती लहरों का
उत्साह बढ़ाते हैं
-ईप्सा यादव
प्रेमी मन की भाषा
आँखें पढ़तीं हैं
साथी की अभिलाषा
-सुधा राठौर
पौधों पर फूल खिले
अब फल आने के
सुन्दर सन्देश मिले
-आलोक मिश्रा
प्रीतम मुरली वाला
प्रेम पगी मीरा
पी लेती विष प्याला
-ममता मिश्रा
पुरवा कुछ लाई है
पंखों से बाँधी
इक पाती आई है
-शशि पाधा
प्रभु का कर लें वंदन
जीवन माटी है
सुमिरन उसका चंदन
-सोनम यादव
पनघट पर पनिहारी
जल भरने आयी
पनघट पर मन हारी
-सोनम यादव
पीपल लहराता है
पत्ते हिला-हिला
जाने क्या गाता है
-ईप्सा यादव
पल भर मन खुश होता
पर अगले ही पल
अवसाद जकड़ लेता
-अमित खरे
पुरखों का लेखा है
कर ले आज अभी
कल किसने देखा है
-रामसागर यादव
पनघट पर सखियाँ हों
कानाफूसी में
साजन की बतियाँ हो
-सोनम यादव
प्रेमी से पेड खड़े
सागर के तट पर
अपनों से आज लड़े
-सोनम यादव
पल-पल बदले जीवन
भाव नये लेकर
अँखिया करती नर्तन
-सोनम यादव
परदेस चले आये
अपने लोगों को
दिल से न भुला पाये
-अरुन शर्मा
प्रीतम की यादों में
खोया मन मेरा
उन कसमे वादों में
-डा० अर्चना पाण्डेय