ये पँचरंगी बाना
काहे मान करे
इसको है गल जाना
-सोनम यादव
ये पावस की रैना
सावन-भादों से
बरसे हैं ये नैना
-सोनम यादव
ये रुत पुरवाई की
सावन के झूले
औ याद विदाई की
-सोनम यादव
ये खबर सभी को है
जाने सब जगती
तेरे मन में जो है
-दिव्या माथुर
ये बात उजागर है
भूख बड़ी-छोटी
पर पेट बराबर है
-अमित खरे
ये पूरब की लाली
मिटा गयी इसको
फिर से रजनी काली
-राम सागर यादव
ये पूनम की रातें
याद दिलाती हैं
वे यौवन की बातें
-राम सागर यादव