रंगों के मेले में
आँखें ढूँढ़ रहीं
चुपचाप अकेले में
-शशि पाधा
रिमझिम रिमझिम बूँदें
चाह यही होगी
तपते मन को छू दें
-आनन्द पाठक
रब पर विश्वास करो
दूत उसी के हम
सच्ची तुम आस धरो
-निवेदिताश्री
रंगोली-सी महके
घर में आँगन में
जब तक बिटिया चहके
-सोनम यादव
ॠतुओं की मनमानी
चंदा करता है
सागर की अगवानी
-सोनम यादव
रंगों पर मत जाना
कोयल के सुर का
जग सारा दीवाना
-चन्द्रभान मैनवाल
रोशन घर-द्वार किये
बेटी ने देखो
आँगन गुलजार किये
-राम सागर यादव
रातों के सन्नाटे
विरहन अँखियों ने
गिन-गिनकर ही काटे
-योगेन्द्र वर्मा
रुत जाड़े की आयी
तिल-गुड़, मेवा औ
मिष्टान्न कई लायी
-मधु गोयल